ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर ने टेस्ट और वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लिया है। वे अब सिर्फ टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट ही ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते नजर आएंगे। सिर्फ टी20 विश्व कप 2024 तक ही वे टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट खेलेंगे। ऐसे में एक तरह से कहा जाए कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट से संन्यास ले लिया है तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। यही कारण है कि उन्होंने अपनी कैप्टेंसी बैन को लेकर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की आलोचना की है।
अच्छे अंदाज में अपने करियर को समाप्त करने वाले डेविड वॉर्नर के लिए 2018 का सैंडपेपर गेट कांड (बॉल टैंपरिंग) करियर का सबसे दुखद चैप्टर रहेगा। इसके बाद वे ऑस्ट्रेलिया की टीम के उपकप्तान भी नहीं बन सके हैं। उनको क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने आजीवन कप्तानी से प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, केपटाउन टेस्ट मैच में साउथ अफ्रीका के खिलाफ वे टीम के उपकप्तान थे, लेकिन इसके बाद कभी उनको कप्तानी नहीं मिली। इसी पर अब उन्होंने बात की है।
क्रिकेट के बाद वॉर्नर कोच बनना चाहते हैं। ऐसे में कोचिंग की संभावनाओं और कप्तानी और कोचिंग के बीच अंतर पर विचार करते हुए वॉर्नर ने अनिश्चितता व्यक्त की। उन्होंने कथित अंतर पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि कोचिंग के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां शामिल हो सकती हैं। अपने नेतृत्व प्रतिबंध के बारे में बात करते हुए वॉर्नर ने स्वीकार किया कि पांच साल के बाद इस मामले पर अपने विचारों को स्पष्ट करना चुनौतीपूर्ण हो रहा है।
डेविड वॉर्नर ने कोड स्पोर्ट्स से बात करते हुए कहा, कप्तानी और कोचिंग में क्या अंतर है? एक कोच के रूप में आपको अधिक जिम्मेदारी मिली है, क्या आप ऐसा नहीं सोचेंगे? मैं नहीं जानता, मैं निश्चित नहीं हूं, मैं नहीं जानता कि कैसे उत्तर दूं। पांच साल हो गए हैं और मुझे अभी भी नहीं पता कि इस प्रश्न का उत्तर कैसे दूं। यह कुछ ऐसा है जिससे मेरा ध्यान भटकाना मुश्किल है। जाहिर है, अगर ऑस्ट्रेलिया में अनुमति दी गई तो मैं कोचिंग कर सकूंगा, लेकिन मैं कप्तानी नहीं कर सकता। इसलिए हां, मुझे यकीन नहीं है कि यह क्या है। यह ऑस्ट्रेलिया के साथ अनुबंध के तहत है। यह नेतृत्व की स्थिति है, इसलिए मुझे यकीन नहीं है; मैं अभी नहीं जानता। यह बहुत अजीब है।