उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश ने राज्य के कई हिस्सों को जलमग्न कर दिया है। वर्तमान में राज्य के 13 जिलों में बाढ़ जैसी गंभीर स्थिति बनी हुई है। प्रमुख नदियाँ — गंगा, यमुना और बेतवा — कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे स्थानीय प्रशासन और नागरिकों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
किन जिलों में है सबसे अधिक असर?
राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार (प्रयागराज, जालौन, औरेया, मिर्जापुर, वाराणसी, कानपुर देहात, बांदा, इटावा, फतेहपुर, कानपुर नगर और चित्रकूट सहित कुल 13 जिले बाढ़ की चपेट में हैं।
राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, रविवार (3 अगस्त 2025) को राज्य में औसतन 14.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि 24 जिलों में मूसलधार वर्षा हुई है।
वाराणसी में गंगा का जलस्तर बना खतरा
वाराणसी में गंगा का जलस्तर सोमवार (4 अगस्त 2025) की सुबह खतरे के निशान को पार कर गया, जिससे कई घाट पूरी तरह डूब गए हैं। शिवम अग्रहरि, गंगा सेवा निधि से जुड़े एक कार्यकर्ता, ने बताया कि दशाश्वमेध घाट पर होने वाली प्रसिद्ध गंगा आरती अब पास की इमारतों की छतों पर आयोजित की जा रही है। वहीं, मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों पर शवों का अंतिम संस्कार ऊंचे प्लेटफॉर्म पर किया जा रहा है।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, सोमवार सुबह गंगा नदी का जलस्तर 72.1 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो खतरे के स्तर 71.262 मीटर से अधिक है। एहतियात के तौर पर जिले में नावों की आवाजाही पूरी तरह रोक दी गई है।
प्रयागराज में गंगा-यमुना दोनों उफान पर
प्रयागराज में भी हालात गंभीर बने हुए हैं। लगातार बारिश के कारण गंगा और यमुना दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है। शनिवार (3 अगस्त) से ही जलस्तर 84.73 मीटर के खतरे के निशान को पार कर चुका है। प्रशासन के अनुसार, जिले के 200 से अधिक गांव और शहर की लगभग 60 बस्तियां जलभराव की चपेट में हैं।
सोमवार सुबह 8 बजे नैनी में यमुना का जलस्तर 86.04 मीटर और फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 86.03 मीटर दर्ज किया गया।
राहत कार्य और एहतियाती कदम
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज कर दिए गए हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीमें लगातार गश्त कर रही हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
प्रशासन ने बाढ़ राहत केंद्रों की स्थापना के साथ-साथ स्कूलों में शिक्षण कार्य को भी अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है। शहर के सदर तहसील अंतर्गत 107 वार्डों में बाढ़ का प्रभाव देखा गया है, जिनमें प्रमुख रूप से राजापुर, बेली कछार, चांदपुर सलोरी, गोविंदपुर, छोटा बघाड़ा और बड़ा बघाड़ा शामिल हैं।
ग्रामीण इलाकों में फूलपुर, सोरांव, मेजा, बारा और हंडिया तहसीलों के कई गांव प्रभावित हुए हैं।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश में हो रही भारी बारिश और प्रमुख नदियों के जलस्तर में वृद्धि ने राज्य के कई हिस्सों को संकट में डाल दिया है। प्रशासन द्वारा राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन फिलहाल हालात गंभीर बने हुए हैं और लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है।
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