संगम की रेती भगवान शिव की भक्ति की अनूठी साधना की साक्षी बन रही है। भारत के उत्थान, बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा, खालिस्तानी आतंकियों का प्रभाव खत्म करने, गोरक्षा जैसी संकल्पना साकार करने को योग सम्राट शिवयोगी बालयोगी बाल ब्रह्मचारी स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी मौनी बाबा के शिविर में शिव साधना चल रही है। पौष पूर्णिमा से आरंभ शिव साधना 26 फरवरी महाशिवरात्रि तक चलेगी। स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी मौनी बाबा का शिविर सेक्टर-छह में नागवासुकि मंदिर के पास लगाया गया है। इसमें भगवान शिव के 11 करोड़ पंचाक्षर मंत्रों का जाप किया जा रहा है। नागवासुकि मंदिर के पास सेक्टर छह में लगने वाले शिविर में पांच करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से द्वादश शिवलिंग का स्वरूप बनाया गया है।
11 हजार त्रिशूल से शिविर हुआ शिवमय
वहीं, 11 हजार त्रिशूल से शिविर शिवमय हो गया है। मौनी बाबा के नेतृत्व में भगवान शिव के पंचाक्षर के 11 करोड़ मंत्रों का जप किया जा रहा है। महाशिवरात्रि तक सवा करोड़ दीपक जलाए जाएंगे। संत और श्रद्धालु मिलकर सवा करोड़ आहुतियां डालेंगे। स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी मौनी बाबा कहते हैं कि भगवान शिव समस्त कामना को पूर्ण करने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि भगवान शिव की साधना का श्रेष्ठ स्थल तीर्थराज प्रयाग है। माघ मास में किया गया अनुष्ठान व्यर्थ नहीं जाता है। भारत का उत्थान, बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा, खालिस्तानी आतंकियों का प्रभाव खत्म करने को जप-तप कर रहा हूं।
बालाजी के शिविर में भक्ति, सेवा और आध्यात्मिकता का संगम
महाकुंभ नगर। भक्ति, सेवा के साथ आध्यात्मिकता का संगम मेहंदीपुर बालाजी सेवा शिविर में देखने को मिल रहा है। महंत डॉ. नरेश पुरी के सानिध्य में श्रद्धालुओं के लिए भंडारा, कंबल वितरण के साथ जनकल्याण के लिए धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं। प्रसिद्ध गायक चिंटू सेवक ने 'तीर्थराज की महिमा अपरंपार..., रामजी चलें हनुमान के बिना...' आदि भजनों की प्रस्तुति कर श्रद्धालुओं को भावविभोर किया।
महंत डॉ. नरेश पुरी ने कहा कि प्रयागराज भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र है। हर व्यक्ति को यहां आकर भजन-पूजन करके पुण्य अर्जित करना चाहिए। मेहंदीपुर के बालाजी की स्तुति करके अपना कल्याण करें, साथ ही दूसरों को इसके लिए प्रेरित करें। यही सच्ची भक्ति है, जो मनुष्य को हर भवसागर से पार करती है। भाजपा नेता सुबोध सिंह ने बताया कि शिविर में हनुमानजी के नाम का जप चल रहा है। साथ ही वैदिक ब्राह्मण जनकल्याण के लिए अनुष्ठान में लीन हैं।
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