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शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। इस दिन मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से साधक को संयम, धैर्य और हर प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मचारिणी माता तपस्या और साधना की प्रतीक मानी जाती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा (Navratri 2025 Day 2 Katha)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय और देवी मैना की पुत्री हैं। नारद मुनि के सुझाव पर उन्होंने भगवान शिव को पति स्वरूप पाने के लिए कठोर तपस्या आरंभ की।
सालों तक उन्होंने कठिन व्रत और उपवास किए। आरंभ में उन्होंने सिर्फ बिल्वपत्र खाए और आगे चलकर भोजन व जल भी त्याग दिया। हजारों वर्षों तक तपस्या करने के कारण वे "अपर्णा" और "ब्रह्मचारिणी" नाम से विख्यात हुईं।
उनकी कठोर साधना देखकर देवता और ऋषि-मुनि भी अचंभित रह गए। अंततः उनकी तपस्या सफल हुई और उन्हें भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त हुए। यही कारण है कि मां ब्रह्मचारिणी को तप, संयम और भक्ति का स्वरूप माना जाता है।
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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि (Shardiya Navratri Day 2 Puja Vidhi)
नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा इस विधि से की जाती है:
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
- मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र का अभिषेक करें।
- सफेद और पीले रंग के फूल, जैसे चमेली, गेंदा या गुड़हल अर्पित करें।
- मिश्री, पंचामृत, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- मां का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का जाप करें।
- ब्रह्मचारिणी माता की कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें।
- इस दिन तामसिक भोजन से परहेज करें और पवित्रता बनाए रखें।
- महिलाओं का अपमान करने से बचें और अधिक से अधिक भक्ति करें।
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र (Puja Mantra & Dhyan Mantra)
ध्यान मंत्र
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग (Day 2 Bhog)
मां ब्रह्मचारिणी को मीठे व्यंजन बेहद प्रिय हैं। खासकर मिश्री और पंचामृत का भोग उन्हें अर्पित करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। इस प्रसाद को परिवार व भक्तों में बांटने से आपसी प्रेम और सद्भाव बढ़ता है।
पूजा सामग्री (Puja Samagri List)
- सफेद या पीले रंग के फूल
- अक्षत (चावल)
- रोली और कुमकुम
- दीपक और घी
- धूप और कपूर
- फल और मिठाई
- मिश्री व पंचामृत
- गंगाजल और इत्र
निष्कर्ष
शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, संयम और भक्ति की शक्ति प्राप्त होती है। इस दिन उनकी पूजा करने से जीवन में सफलता और मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
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