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शारदीय नवरात्र हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है, जिसे मां दुर्गा को समर्पित किया जाता है। यह उत्सव श्रद्धालुओं के जीवन में शक्ति, भक्ति और सुख-शांति लाने वाला माना जाता है। नवरात्र का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के किसी न किसी स्वरूप की पूजा को समर्पित होता है।
नवरात्र का पहला दिन – मां शैलपुत्री
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नवरात्रि के पहले दिन का महत्व विशेष है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। मान्यता है कि यदि साधक इस दिन मां शैलपुत्री की कथा का पाठ कर विधिपूर्वक पूजा करता है, तो उसे पूरे नवरात्र व्रत का फल प्राप्त होता है।
मां शैलपुत्री की कथा
कथाओं के अनुसार, राजा दक्ष प्रजापति की कन्या सती ने अपने मन की इच्छा से भगवान शिव से विवाह किया। लेकिन राजा दक्ष इस विवाह से संतुष्ट नहीं थे और हमेशा शिवजी एवं सती माता से क्रोधित रहते थे।
एक बार राजा दक्ष ने एक बड़ा यज्ञ आयोजित किया और सभी देवताओं और मुनियों को बुलाया, परंतु जानबूझकर सती और भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। जब सती माता को यज्ञ के बारे में पता चला, तो वे बहुत चिंतित हुईं और वहां जाने का निर्णय लिया। भगवान शिव ने उन्हें बिना बुलावे किसी यज्ञ में न जाने की सलाह दी, लेकिन सती माता अपनी जिद पर अड़ी रहीं।
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यज्ञ स्थल पहुँचने पर वहां उनका सम्मान नहीं हुआ और राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया। यह देखकर सती माता अत्यंत दुखी हुईं और क्रोध में यज्ञ की अग्नि में स्वयं को समर्पित कर दिया। भगवान शिव ने यह देखकर यज्ञ को नष्ट कर दिया।
इसके बाद सती माता हिमालयराज की पुत्री पार्वती के रूप में पुनर्जन्मी। हिमालय को 'शैल' भी कहा जाता है, इसलिए उनकी पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा गया।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि (Shardiya Navratri 2025 Day 1st Puja Vidhi)
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का विशेष महत्व है। पूजा विधि इस प्रकार है:
- चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएँ।
- मिट्टी के बर्तन में जौ बोएँ।
- कलश में गंगाजल भरें और उसमें सुपारी, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालें।
- कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और नारियल रखें।
- कलश को जौ के बर्तन पर रखें।
- देवी दुर्गा का आह्वान करें और नौ दिनों तक विधिपूर्वक पूजा करें।
- कुछ साधक इस दौरान उपवास रखते हैं।
- प्रतिदिन सुबह और शाम आरती करें और भाव से देवी का स्मरण करें।
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घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, 22 सितंबर 2025 को घटस्थापना का शुभ समय इस प्रकार है:
- सुबह 06:09 बजे से 08:06 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: 11:49 बजे से 12:38 बजे तक
साधक इन समयों के दौरान भी घटस्थापना कर सकते हैं।
मां शैलपुत्री पूजा का महत्व
नवरात्र की प्रथम पूजा मां शैलपुत्री को समर्पित होती है। वे धैर्य, शक्ति और करुणा का प्रतीक मानी जाती हैं। इनकी उपासना करने से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी बाधाओं का निवारण होता है।