18 साल के लंबे इंतजार के बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने आखिरकार अपनी पहली इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) ट्रॉफी जीत ली। 3 जून को अहमदाबाद में खेले गए फाइनल में RCB ने पंजाब किंग्स को हराया, जिसके बाद बेंगलुरु शहर जश्न में डूब गया। लेकिन यह खुशी जल्द ही एक भयानक हादसे में बदल गई, जब भीड़ में भगदड़ मचने से कई लोग घायल हो गए और 11+ लोगों की मौत हो गई।
जश्न में शामिल हजारों फैंस, हालात बेकाबू
RCB की ऐतिहासिक जीत के बाद, टीम के खिलाड़ी अगली सुबह बेंगलुरु पहुंचे। उनके स्वागत और जीत का जश्न मनाने के लिए हजारों की संख्या में फैंस विधान सौधा से लेकर एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम तक इकट्ठा हुए।
लेकिन भारी भीड़ के कारण हालात बेकाबू हो गए। स्टेडियम के पास भीड़ में अचानक भगदड़ मच गई, जिससे अफरातफरी का माहौल बन गया।
भगदड़ में मौतें और पुलिस की लाठीचार्ज
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, इस दुखद घटना में करीब 11+ लोगों की जान चली गई जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गए। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
उपमुख्यमंत्री का माफीनामा
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने इस घटना को लेकर अफसोस जताया और कहा, "मैं भीड़भाड़ के लिए माफी चाहता हूं।" उन्होंने सरकार की ओर से हालात काबू में न रख पाने की जिम्मेदारी स्वीकार की।
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वहीं, भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने लोगों से जिम्मेदारी के साथ जश्न मनाने की अपील की और कहा कि "खुशी के इस मौके को त्रासदी में न बदलें।"
प्रशासन पर सवाल, विपक्ष का हमला
इस हादसे के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। भाजपा नेता अमित मालवीय ने प्रशासन की विफलता को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “यह दिल तोड़ देने वाली घटना टाली जा सकती थी। सरकार की प्रशासनिक लापरवाही और भीड़ नियंत्रण में नाकामी ने कई जिंदगियों को खत्म कर दिया।”
सबक और सुधार की जरूरत
बेंगलुरु इस दुखद हादसे के बाद शोक में डूबा है। यह घटना एक कड़वा सबक देती है कि किसी भी बड़े आयोजन या जश्न के दौरान सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो।
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