खाटू श्याम को भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार माना जाता है. देश-विदेश के कोने-कोने में भगवान के भक्त मौजूद हैं. खाटू श्याम को समर्पित मंदिर राजस्थान के सीकर में स्थित है. धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर में खाटू श्याम के दर्शन और पूजा करने से व्यक्ति के बिगड़े काम बन जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हर साल कार्तिक माह में खाटू श्याम का अवतरण दिवस (जन्मदिन) (Khatu Shyam Birthday 2024 Date) बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस खास मौके पर मंदिर को बेहद खूबसूरती से सजाया जाता है और इस दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि हारे का सहारा का अवतरण दिवस कब मनाया जाएगा. साथ ही जानेंगे कि बर्बरीक कैसे बने खाटू श्याम?
हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को खाटू श्याम का अवतरण दिवस मनाया जाता है. इस एकादशी को देवउठनी के नाम से जाना जाता है. यह एकादशी 12 नवंबर 2024 को है. वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को खाटू श्याम जन्मोत्सव मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने खाटू श्याम को श्याम अवतार होने का आशीर्वाद दिया था.
बर्बरीक की माता का नाम अहिलवती और पिता का नाम घटोत्कच था। बर्बरीक ने महाभारत के युद्ध में जाने की इच्छा व्यक्त की। अपनी मां से अनुमति मिलने के बाद उन्होंने अहिलवती से पूछा 'युद्ध में मैं किसका साथ दूं?' इसके जवाब में उनकी मां ने कहा 'जो हार रहा हो उसका सहारा बनना।'
इसके बाद युद्ध में बर्बरीक ने माता के वचन का पालन किया। वहीं, जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण युद्ध का अंत जानते थे। इसी वजह से उन्होंने विचार किया किया कि यदि कौरवों को देखते हुए बर्बरीक युद्ध में उनका (कौरवों) का साथ देने लगा देने लगा, तो पांडवों को हार का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का वेश धारण किया और बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया।
ऐसी स्थिति में बर्बरीक सोचने लगा कि कोई ब्राह्मण मेरा शीश क्यों मांगेगा? यह सोच उन्होंने ब्राह्मण से उनके असली रूप के दर्शन की इच्छा जाहिर की। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने विराट रूप में दर्शन दिए। बर्बरीक ने अपना शीश प्रभु को समर्पित कर गए और श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को खाटू श्याम नाम दिया और कहा कि कलयुग में आप आप मेरे नाम से पूजे जाएंगे। धार्मिक मान्यता है कि जिस स्थान पर बर्बरीक का शीश रखा गया। उस जगह पर आज भी खाटू श्याम जी विराजते हैं।
Also Read: Google new chief technologist: Who is Prabhakar Raghavan?