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Holika Dahan 2025: Chant Narasimha Chalisa for Wealth and Prosperity

Akanksha PicAkanksha - March 14, 2025 10:38 AM

होलिका दहन हिंदू संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व भक्त प्रह्लाद की श्रद्धा और भगवान नरसिंह के प्रकट होने की कथा को दर्शाता है।

होलिका दहन 2025 का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, प्रदोष काल में होलिका दहन करना सबसे शुभ माना जाता है।

  • होलिका दहन मुहूर्त: शाम 06:50 से रात 09:15 तक
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 मार्च 2025 को दोपहर 02:30 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च 2025 को सुबह 04:45 बजे

होलिका दहन की पूजा विधि

होलिका दहन से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री एकत्र करें और निम्नलिखित विधि से पूजा करें:

  1. होलिका की स्थापना करें।
  2. रोली, हल्दी, चावल, नारियल, फूल, गुड़, गेहूं आदि अर्पण करें।
  3. होलिका की सात बार परिक्रमा करें।
  4. नरसिंह चालीसा का पाठ करें।
  5. बुरी आदतों, कष्टों और नकारात्मक ऊर्जा का दहन करने का संकल्प लें।

होलिका दहन विशेष मंत्र

होलिका दहन के समय निम्न मंत्रों का जाप करें:

ॐ होलिकायै नमः।।
ॐ नरसिंहाय नमः।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।।

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Image Source: Twitter

श्री नरसिंह चालीसा

मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार।
शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार।।
धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम।
तुमरे सुमरन से प्रभु, पूरन हो सब काम।।
नरसिंह देव में सुमरों तोहि, धन बल विद्या दान दे मोहि।
जय-जय नरसिंह कृपाला, करो सदा भक्तन प्रतिपाला।।
विष्णु के अवतार दयाला, महाकाल कालन को काला।
नाम अनेक तुम्हारो बखानो, अल्प बुद्धि में ना कछु जानो।।
हिरणाकुश नृप अति अभिमानी, तेहि के भार मही अकुलानी।
हिरणाकुश कयाधू के जाये, नाम भक्त प्रहलाद कहाये।।
भक्त बना बिष्णु को दासा, पिता कियो मारन परसाया।
अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा, अग्निदाह कियो प्रचंडा।।
भक्त हेतु तुम लियो अवतारा, दुष्ट-दलन हरण महिभारा।
तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे, प्रह्लाद के प्राण पियारे।।
प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा, देख दुष्ट-दल भये अचंभा।
खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा, ऊर्ध्व केश महादृष्ट विराजा।।
तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा, को वरने तुम्हरो विस्तारा।
रूप चतुर्भुज बदन विशाला, नख जिह्वा है अति विकराला।।
स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी, कानन कुंडल की छवि न्यारी।
भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा, हिरणा कुश खल क्षण मह मारा।।
ब्रह्मा, बिष्णु तुम्हें नित ध्यावे, इंद्र-महेश सदा मन लावे।
वेद-पुराण तुम्हरो यश गावे, शेष शारदा पारन पावे।।
जो नर धरो तुम्हरो ध्याना, ताको होय सदा कल्याना।
त्राहि-त्राहि प्रभु दु:ख निवारो, भव बंधन प्रभु आप ही टारो।।
नित्य जपे जो नाम तिहारा, दु:ख-व्याधि हो निस्तारा।
संतानहीन जो जाप कराये, मन इच्छित सो नर सुत पावे।।
बंध्या नारी सुसंतान को पावे, नर दरिद्र धनी होई जावे।
जो नरसिंह का जाप करावे, ताहि विपत्ति सपने नहीं आवे।।
जो कामना करे मन माही, सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही।
जीवन मैं जो कछु संकट होई, निश्चय नरसिंह सुमरे सोई।।
रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई, ताकि काया कंचन होई।
डाकिनी-शाकिनी प्रेत-बेताला, ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला।।
प्रेत-पिशाच सबे भय खाए, यम के दूत निकट नहीं आवे।
सुमर नाम व्याधि सब भागे, रोग-शोक कबहूं नहीं लागे।।
जाको नजर दोष हो भाई, सो नरसिंह चालीसा गाई।
हटे नजर होवे कल्याना, बचन सत्य साखी भगवाना।।
जो नर ध्यान तुम्हारो लावे, सो नर मन वांछित फल पावे।
बनवाए जो मंदिर ज्ञानी, हो जावे वह नर जग मानी।।
नित-प्रति पाठ करे इक बारा, सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।
नरसिंह चालीसा जो जन गावे, दु:ख-दरिद्र ताके निकट न आवे।।
चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे, सो नर जग में सब कुछ पावे।
यह श्री नरसिंह चालीसा, पढ़े रंक होवे अवनीसा।।
जो ध्यावे सो नर सुख पावे, तोही विमुख बहु दु:ख उठावे।
शिवस्वरूप है शरण तुम्हारी, हरो नाथ सब विपत्ति हमारी।।
चारों युग गायें तेरी महिमा अपरंपार।
निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार।।
नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार।

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Akanksha Sinha Writter

Akanksha Sinha

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Over the years, I have developed a keen ability to analyze matches, players, and sports trends, turning raw information into reader-friendly narratives that spark conversation and build engagement. My work balances insightful analysis with entertainment value, making it appealing to both casual fans and dedicated sports enthusiasts.

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