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Chhath Puja 2024: दूसरे दिन खरना का महत्व और धार्मिक प्रक्रिया

By Akanksha - November 06, 2024 09:02 PM

छठ पूजा भारत में विशेष रूप से उत्तर भारत, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का पर्व है, जिसमें श्रद्धालु उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कठोर तप करते हैं। छठ पूजा का दूसरा दिन 'खरना' कहलाता है, जो भक्तों की आस्था, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं खरना के बारे में विस्तार से।

छठ पूजा 2024: खरना की पूजा विधि

छठ पूजा का पहला दिन 'नहाय-खाय' से शुरू होता है। इस दिन व्रती अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं और विशेष भोजन ग्रहण करते हैं। इसके बाद दूसरे दिन खरना का व्रत रखा जाता है, जो कि छठ पूजा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस बार छठ पूजा 6 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है, जिसमें पंचमी तिथि को खरना का आयोजन होगा। इस दिन व्रती शाम को गुड़ की खीर, बखीर और अन्य प्रसाद का भोग लगाते हैं, जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है।

खरना का धार्मिक महत्व

खरना के दिन व्रती महिलाएं और पुरुष भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करते हैं। इस दिन का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त करना होता है। खरना का व्रत अत्यंत कठोर होता है और यह ईश्वर के प्रति असीम भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन व्रती शाम को अपने पूजा स्थल पर दीप जलाते हैं और पूरे दिन उपवासी रहते हैं।

खरना के प्रसाद का धार्मिक महत्त्व

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Image Source: Twitter

खरना के दौरान बनाए गए प्रसाद का धार्मिक महत्व होता है। ये प्रसाद विशेष तौर पर देवताओं को समर्पित किए जाते हैं। मुख्य रूप से प्रसाद में गुड़ की खीर, गेहूं का पेठा, ठेकुआ, घी वाली रोटी, और बखीर शामिल होते हैं। इन प्रसादों को अत्यंत शुद्धता और पवित्रता के साथ तैयार किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन बनाए गए प्रसाद देवताओं को अर्पित करने के बाद ग्रहण करने से व्रती और उनके परिवार पर सुख-शांति और समृद्धि की कृपा बनी रहती है।

खरना की पूजा का आयोजन

खरना की पूजा सूर्यास्त के समय संपन्न होती है। व्रती लोग अपने घरों में अथवा गंगा या किसी पवित्र नदी के तट पर पूजा का आयोजन करते हैं। पूजा में मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं और सूर्यदेव तथा छठी मैया की विशेष पूजा की जाती है। इसके बाद प्रसाद को श्रद्धापूर्वक देवताओं को अर्पित किया जाता है। यह प्रसाद परिवार के सभी सदस्य मिलकर ग्रहण करते हैं, जिससे सामूहिकता और पारिवारिक एकता की भावना का संचार होता है।

खरना व्रत का महत्व

खरना का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आस्था और समर्पण का प्रतीक है। यह व्रत व्यक्ति की आंतरिक और बाहरी शुद्धि का प्रतीक है, और इसे जीवन में अनुशासन, संयम, और धैर्य बनाए रखने का मार्गदर्शक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि खरना व्रत करने से संतान सुख, सुख-समृद्धि और परिवार में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्व लोगों को सच्ची आस्था, भक्ति और समर्पण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसे मानने वाले श्रद्धालुओं के लिए खरना आत्मिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक है। छठ पूजा का यह दिन न केवल सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के लिए होता है बल्कि परिवार में समृद्धि और खुशियों की कामना के लिए भी है।

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