By Aditya
October 18, 2025
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा तो होती ही है, लेकिन साथ में शाम को मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर एक दीया भी जलाया जाता है।
इसे यम दीप या दीपदान कहा जाता है, माना जाता है कि ऐसा करने से परिवार के असमय मृत्यु और दुर्भाग्य से बचाव होता है.
यम दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और परिवार की दीर्घायु, घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है.
पौराणिक कथा के अनुसार, हेम नामक राजा के यहां “हिमांशु” नाम के राजकुमार का जन्म हुआ, लेकिन विवाह के चार दिन बाद उसकी मृत्य निश्चित थी.
वैसा ही हुआ राजकुमार ने प्रेम विवाह किया, विवाह के चार दिन बाद मौत हो गयी. यमराज प्राण लेने आये लेकिन नवविवाहिता का रोना और चीखें सुन उनका दिल कांप उठा.
जब मृत्यु के दूत ने पूछा कि क्या अकाल मृत्यु के लिए कोई उपाय है, तो यम (मृत्यु के देवता) ने एक समाधान बताया कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को जो भी व्यक्ति अपने घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाएग
तभी से धनतेरस पर यमराज की पूजा होती है और यम दीप जलाया जाता है। इस दिन चार मुंह वाला यम दीपक निकालने का चलन है।