प्रेमानंद महाराज ने बताया कि मृत्यु के बाद पुनर्जन्म होने पर भी श्राद्ध का फल कैसे मिलता है।

By Aditya
September 18, 2025

अक्सर यह प्रश्न उठता है कि जब आत्मा नया जन्म ले लेती है, तो श्राद्ध का फल उसे कैसे मिलता है? ऐसा ही एक सवाल प्रेमानंद महाराज के सामने आया

एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से यही सवाल किया. प्रेमानंद महाराज ने इसका जवाब देते हुए कहा कि श्राद्ध और तर्पण का पुण्य रूप उसी आत्मा तक पहुंचता है, जिसके लिए संकल्प लिया गया है

आत्मा जहां और जिस रूप में भी हो, श्राद्ध का पुण्य उस तक पहुंचता जरूर है. संकल्प और श्रद्धा की शक्ति से श्राद्ध का फल सीधे आत्मा को मिलता है.

हिंदू धर्म में पितरों का श्राद्ध सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अपने पितरों के प्रति सम्मान, कृतज्ञता का भाव प्रकट करना भी है.

श्राद्ध पक्ष (पितृपक्ष) में लोग अपने पूर्वजों के नाम पर पिंडदान, तर्पण, अन्न-जल अर्पण और ब्राह्मण भोज कराते हैं.

क्यों किया जाता है श्राद्ध?

शास्त्रों के अनुसार, जब कोई व्यक्ति शरीर त्यागता है तो उसकी आत्मा आगे की यात्रा पर निकलती है.

उस समय उसके कर्म ही साथ रहते हैं. श्राद्ध और तर्पण द्वारा वंशज उस आत्मा की यात्रा को सुगम बनाने का प्रयास करते हैं.

यह मान्यता है कि श्राद्ध से पितरों को संतोष मिलता है. परिवार को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही वंशजों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

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